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ज़मी पर सरहदें ......ना बनें

सरहदें बनायीं गयी धरा को बाँट बाँट कर, मुल्क खुद परेशां होगा सरहद लहू से पाट कर, ज़िंदगियाँ वक़्त से पहले ही फना होती रहीं, ज़मी भी शायद हैराँ हो इंसा के इस जज्बात पर, यूँ तो मिटटी मिटटी में फर्क होता नहीं कोई, जिसमें तू पैदा हुआ उस मिटटी से भी कभी तू बात...

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आज की धड़कने ......(XV)

माँ भारती के आँचल का परचम हो गया होगा, आपके लफ़्ज़ों का इंकलाब भरकम हो गया होगा इंसान से मोहब्बत है खुदा को हर सुबह का आना इसका सबूत है, सूरज के निकलने से चाँद के ढलने तक बस खुदा का ही वजूद है, दुआओं का सफ़र कुछ आगे यूँ आज करते हैं , दोस्तों की ज़िन्दगी ना...

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ख़ुशी के....... रंग

खुश तो कम ही मिलेंगे जमाने से, शायद थक गए हो निभाने से, कुछ शिकवे भी होंगे ज़माने से, बात बन जायेगी दो कश लगाने से, एक ज़िन्दगी का हो दूसरा दोस्ती का, थोड़ा जाम गम का हो थोड़ा ख़ुशी का, चल यार अब दिल्लगी छोड़ भी दे बहाने से, आ नींद से सुबह मांग लें ठिकाने...

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आईनों का.............. दर्द

आईनों का दर्द कोई समझेगा क्या, अक्श अपना दिखाई ना दे कोई बदलेगा क्या, सूरतें दिखती तो हैं ख़ूबसूरत मगर, नकाब कितने हैं एक चेहरे पर कोई कहेगा क्या, टूटता है जब कोई तब नकाब भी टूट जाता है, आईने के टुकड़ों में हर टूटा अक्श नज़र आता है, चूर आईनों सी भी होती...

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आज की धड़कने .....(XIV)

इक पन्ना ज़िन्दगी का जब पढ़ा मैंने, कुछ पन्नो से हटा ली बंदगी मैंने, क्या गज़ब के तूने सितम लिख दिए, हैराँ हूँ के कैसे ख़ुशी के पल कब लिख दिए, इस ज़िन्दगी की किताब जब तलक पूरी होगी, तेरे शुकराने में मेरी तरफ से ना कमी होगी, ज़िन्दगी के हर पन्ने में हलचल तो...

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आज की धड़कने .........(XIII)

सुबह के उजियारे प्रेम का सन्देश ले आये, इंसान के अंधेरों की जितनी हो प्यास बुझ जाए, इंसानियत हर घडी ख़ुशी के गीत गाये, दोस्तों की ज़िंदगानी दोस्ती में बीत जाए, साथ गुजारे वक़्त की कसक रह ही जाती है रिश्तों की, दूर रहते है और हमेशा याद आते हैं ये ज़मी है रिश्तो...

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लेखन की .......दास्ताँ

उम्र गुजरी हुनर कोई ना हाथ आया, पेट भरना ना हो सका खुद को सिकस्त पाया, जाने कौन घडी थी जब ये कलम उठाई, खुदा ने शायद जज्बात लिखने को था कागज़ बनाया, कुछ दिए एह्साश जिसको मैं लिख तो पाया, ज़िन्दगी में सिक्कों की कमी कोई भर ना पाया, किसी लिखने वाले की दास्ताँ...

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बचपन से मज़दूरी करवाने का......... जुर्म

नन्हे कन्धों पर रख देते हैं बोझ, चंद दौलतमंद अपने मतलब के लिए, दौलत के नशे में हो जाते हैं अंधे, अपने गोरख धंधे के लिए, किसी बचपन पर जुर्म है मज़दूरी, जो करवा रहा है उसकी आत्मा नहीं पूरी, फिर इन्ही में कुछ होते हैं जो दान देते हैं, मंदर मस्जिदों के स्तम्भो...

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तारीफों की ........दास्ताँ

वो बना देता है हस्तियां तारीफ़ के काबिल, जिसने बनायीं दुनिया तारीफ़ के काबिल, आपके हर हुनर पे जब दिल से दाद होगी, कम हो या हो ज्यादा हमेशा याद होगी, मतलब की तारीफें पहचानते हैं सब, बिना किये भी लोग कहा मानते हैं अब, दिल से निकली वाह और आह अब एक साथ होगी,...

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