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26 Sep

आरजूऐ........ मोहब्बत

Published by Sharhade Intazar Ved

आरजूऐ........  मोहब्बत

आराम से रहता है मोहब्बत नहीं करता,
महबूब की दुनिया से शिकायत नहीं करता,

एक तू है हर वक़्त ही तलवार लिए है
ज़ालिम भी तो ज़ख्मों की हिमायत नहीं करता,

दिमागों का यंहा दस्तूरे मोहब्बत भी क्या खूब पाया,
करता सियासत हमेशा, कहता सियासत नहीं करता,

कभी जब तन्हाई की डगर पर रौशनी साथ चलती है,
साया जख्मी हो कर भी दोस्त बगावत नहीं करता,

अब ग़म से मेरा इस क़दर उलझा हुआ दिल है
अब लम्हा ख़ुशी का भी तो राहत नहीं करता,

आरजू तो थी के. मोहब्बत भी करेंगे
दिल अब,तो किसी से भी शिकायत नहीं करता,

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