27 Aug दलितों को........ दलित कहने पर Published by Sharhade Intazar Ved इस दर्द से गुजरते गुजरते देख कहा तक आ गए, इतना बदलकर भी देखा तो जख्म हरा ही पा गएवो कहते मिले के हमने तुम्हे इंसान माना, जो थे आज इंसानियत बेच कर खा गए,खुदा ही जाने तुझे वो अगला जन्म क्या देगा, इंसान यक़ीनन नहीं बनाएगा काफी है जीव का जन्म गर पा गए
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