29 Aug प्रेम ......पांति Published by Sharhade Intazar Ved प्रेम के हो जाने से लिखे जाने तक, अश्क के बहने से मुस्कराने तक, इंतज़ार के लम्हों को मुकम्मल पाने तक,धड़कनों के राग बदलते जाते हैं,दिलों की बस्तियों पर सहर आने तक, बीत जाती है उम्र लौट कर घर आने तकचंद दिनों में जीता है एक उम्र हर एक, मुहब्बत बदलती जाती है आखरी ठिकाने तक
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