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09 Sep

बचपन जाने...... ना पाये

Published by Sharhade Intazar Ved

बचपन जाने...... ना पाये

बचपना जवान हो चूका पर बचपना तो है,
करतें हैं नादानियाँ हमने सुना तो है,

वो गया वक़्त भी देख कर हमें मुस्कराता होगा,
जो था बचपन का दोस्त अब हमनवां तो है,

कभी कभी गुजरता है वो वक़्त बचपन का अब भी,
राहों पर जब हमने फिर खेले हैं कंचे,
तुमने सुना तो है,

अभी भी बच्चो के साथ खेलता हूँ मैं,
वो वक़्त भी कहता है अभी भी बचपना तो है,

बचपन जाने ना पाये इंसान गर एैसा करले,
ज़िन्दगी बन जाए ख़ुशी फिर गम खिलौना तो है

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