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06 Sep

आज की धड़कने........ (XI)

Published by Sharhade Intazar Ved

आज की धड़कने........ (XI)

तेरे अल्फ़ाज़ों को कोई शायर भी बना देगा सब्र रख,
किसी को बना अपना ज़रा अपने हुस्न पर भी नज़र रख,

जब कभी जिक्र दोस्त तेरे अश्कों का होगा,
दर्द तेरा तू मान ले कुछ हमने भी सहा होगा,

आजमाइश आपकी नहीं हम खुद की कर रहे हैं,
धोखे से ही सही जज्बातों की माला बुन रहे हैं

ये जो तस्वीरों से बाहर निकल आने का आपका हुनर है,
हम भले अनजान हों पर ज़माना कहा बेखबर है,

दर्द और इंतज़ार का भी अपना ही मज़ा है,
समझो तो दिल्लगी ना समझो तो सजा है

Comment on this post
E
Waah kya baat hai. Bahut khoob-<br /> Drd or intzaar ka apna hi mza hai<br /> Smjho to dillgi .na samjho to sja hai
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V
Sukriya Ekta ji
M
जब कभी जिक्र दोस्त तेरे अश्कों का होगा,<br /> दर्द तेरा तू मान ले कुछ हमने भी सहा होगा,<br /> kyaa baat hai !!!
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V
shukriya monika ji
M
bahuut bahuut bahuut khoob
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V
shukriya Manju ji
A
वह ना थे तो जिंदगी में उनकी यादें बहुत थी <br /> वह आए तो जिंदगी की संासें बहुत कम थी।<br /> जिनके इंतजार में हम देख रहे थे राहों को <br /> वह आए और बोले हम पर निगाहें बहुत थीं।।
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V
khoob Anil Bhai
A
waah kyaa jazbaat byaa kiye hai .lajwaab
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