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10 Aug

आज की धड़कनें,

Published by Sharhade Intazar Ved

आज की धड़कनें,

भोर के उजालों ने पैगाम ईश्वर का दिया,
इंसान हमेशा रखे जलता इंसानियत का दिया,

सलामों की इस दुनिया में एक सलाम यूँ भी कर डाला,
जब भी हुआ उदास मन, आपकी दुआओं का काफिला निकाला,

नज़राने देख मैं लाया हूँ तेरे मुस्कराने के ,
छोड़ ये अकेलापन अब हंस भी दे बहाने से,

इश्क जब कसम दे दे के मत आना
इश्क के प्यासे को गला दबा कर मार देते हैं,
हम तेरे दर से नफरत की मोहब्बत उतार लेते हैं,
दिल करेगा कभी तब भी ना लौटेंगे कदम,
क़दमों में कसमों की चलो बेड़ियां ड़ाल लेते हैं,
इश्क के प्यासे को

रात जा रही है नींदों तुम ख्वाब लाना,
पल पल बढ़ता जाये वो आफ़ताब लाना

धड़कने शरहदे की

Comment on this post
A
सुन्दर भाव
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S
ishk se badi jaagir nhi ,is se umda koyi tasveer nhi .<br /> nazuk sa dhaagaa hai ,mgr is se pakki koyi janjeer nhi
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A
very nyc <br /> sir bahut achha likhte hain aap
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V
Thanks Anita ji